
छत्त्तीसगढ़ के बस्तर जिले में स्थित चित्रकूट जलप्रपात इन दिनों अपनी भव्यता और नैसर्गिक सौंदर्य से लोगों को मंत्रमुग्ध कर रहा है। भारी वर्षा के चलते इंद्रावती नदी पूरे वेग से बह रही है और चित्रकूट जलप्रपात अपनी पूरी महिमा के साथ गर्जना करता हुआ गिर रहा है। इस दृश्य को देखने के लिए प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश के कोने-कोने से पर्यटक पहुंच रहे हैं।भारत का नियाग्रा कहे जाने वाला यह जलप्रपात लगभग 30 मीटर (करीब 98 फीट) ऊंचा है, लेकिन इसकी सबसे बड़ी विशेषता इसकी चौड़ाई है, जो बरसात के दिनों में 300 मीटर से भी अधिक हो जाती है। जैसे ही इंद्रावती नदी की धाराएँ चट्टानों से टकराकर नीचे गिरती हैं, वैसी गगनभेदी गर्जना होती है जो आत्मा तक को रोमांचित कर देती है।चित्रकूट जलप्रपात का दृश्य दूर-दूर तक फैले हरे-भरे जंगलों के बीच और भी मनोहारी लगता है। हाल ही में खींची गई एक ड्रोन तस्वीर में इसकी सुंदरता और आसपास के प्राकृतिक सौंदर्य को देखकर लोग सोशल मीडिया पर इसे “धरती का स्वर्ग” कहने लगे हैं। जलप्रपात के समीप बने आकर्षक विश्राम भवन, लाल टाइलों की छतों वाले पर्यटक निवास और छायादार सड़कें इस दृश्य को और भी अद्वितीय बनाते हैं।यह जलप्रपात न केवल प्राकृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि पर्यटन और स्थानीय रोजगार के क्षेत्र में भी इसका विशेष योगदान है। हर वर्ष हजारों की संख्या में सैलानी यहां पहुंचते हैं, जिससे बस्तर की सांस्कृतिक पहचान और आर्थिक गतिविधियों को बल मिलता है।छत्तीसगढ़ पर्यटन विभाग ने चित्रकूट में साफ-सफाई, लाइटिंग और मार्ग व्यवस्था में सुधार कर इस स्थल को और अधिक दर्शनीय बना दिया है। रात्रि में जब जलप्रपात के किनारे रौशनी जगमगाती है, तो यह दृश्य और भी मनोहारी बन जाता है।चित्रकूट जलप्रपात केवल एक प्राकृतिक दृश्य नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की आत्मा का प्रतीक है, जो अपने अनूठे वैभव से हर दर्शक के मन में अमिट छाप छोड़ता है। यदि आपने अब तक चित्रकूट नहीं देखा है, तो यह समय है उस अद्भुत सौंदर्य से साक्षात्कार करने का।
रिपोर्ट : असीम पाल,
चीफ एडिटर
परलकोट दर्पण लोकल न्यूज