विश्व आदिवासी दिवस को “नागरिकता बचाव दिवस” के रूप में मनाएंगे : प्रदेश के मूल निवासीयों का नाम मतदाता सूची से विलोपित होने का खतरा – नजीब कुरैशी

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तहसील रिपोर्टर- राकेश मित्र

पखांजूर,जिला-कांकेर , छत्तीसगढ़

चुनाव आयोग ने बिहार में जो एस आईआर(स्पेशल इंटेंसिव रिव्यू) लागू कर मतदाता सूची तैयार कर कर रही है उसमें भारी संख्या में गरीब लोगों का नाम मतदाता सूची से विलोपित होने की संभावनाएं बनी हुई है।चुनाव आयोग का निर्णय है देश के सभी राज्यों में बिहार के तर्ज पर मतदाता सूची तैयार किया जाएगा।अगर छत्तीसगढ़ में यह लागू होगा फिर प्रदेश के मूलनिवासियों और दलितों का नाम मतदाता सूची से भारी संख्या में विलोपित होने की संभावना बनी रहेगी।आज जारी एक बयान में राजमिस्त्री मजदूर रेजा कुली एकता यूनियन के राज्य कार्यकारी अध्यक्ष सुख रंजन नंदी और उपाध्यक्ष नजीब कुरैशी ने बताया कि चुनाव आयोग के इस एस आई आर में मतदाताओं के आधार कार्ड,मतदाता परिचयपत्र और राशन कार्डों को नागरिकता के प्रमाणपत्र के रूप में मान्य नहीं किया जाएगा। चुनाव आयोग ने जिन 11 दस्तावेजों को नागरिकता प्रमाणित करने के लिए मान्य किया है वो दस्तावेज प्रदेश के अधिकांश मूलनिवासी के पास उपलब्ध नहीं है।नेताओं ने कहा कि अब एस आई आर में मतदाता सूची में उनका नाम ही शामिल किया जाएगा जिनके पास 11 में से कोई भी एक दस्तावेज है। *किन दस्तावेजो की है मान्यता* किसी केंद्रीय ,राज्य सरकारी सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारी होने का प्रमाणपत्र, या पेंशन के कागजात,जन्म प्रमाणपत्र,विद्यालयीन शिक्षा का प्रमाणपत्र,निवास प्रमाणपत्र,वंशावली,आदिवासी,दलित,पिछड़ावर्ग के सरकारी प्रमाणपत्र,जमीन या मकान के पट्टा, वनाधिकार पत्रक,पासपोर्ट,पंजीकृत नागरिक प्रमाणपत्र,वर्ष 1987 के पूर्व किसी भी सरकारी विभागों द्वारा उनके नाम पर जारी कोई दस्तावेज या कागजात।मजदूर नेताओं ने कहा कि उपरोक्त 11 दस्तावेजो में से किसी एक दस्तावेज भी प्रदेश के अधिकांश मूलनिवासियों के पास मिलना मुश्किल है।क्योंकि आज से 30 से 40 वर्ष पहले बहुत कम मूलनिवासी सरकारी नौकरी करते थे या विद्यालयीन शिक्षा के प्रति जागरूकता भी उनमें नहीं थी। जन्म प्रमाणपत्र तो वयस्क मूल निवासियों के पास होना असंभव है। जमीन और मकान का पट्टा भी उनके पास नहीं था।वनाधिकार कानून लागू होने के बाद भी सभी कब्जे धारियों को वनाधिकार पट्टा नहीं मिला है। *असम के तर्ज पर मूल निवासी हो जाएंगे मतदाता सूची से विलोपित* हमारे देश के असम राज्य में सबसे पहले चुनाव आयोग ने सन 1996-97 में संदिग्ध मतदाता पद्धति लागू किया था। 19 लाख संदिग्ध मतदाताओं का नाम मतदाता सूची से विलोपित कर दिया गया था। चुनाव आयोग के एस आई आर पद्धति से छत्तीसगढ़ में भारी संख्या में मूलनिवासी और दलित तबकों का नाम मतदाता सूची से विलोपित हो जाएगा अगर वे संबंधित दस्तावेज नहीं दिखा पाएंगे।राज्य सरकार के गृह मंत्री ने विधानसभा में घोषणा भी कर दिया है कि असम के भांति राज्य में भी डिटेंशन कैंप के तर्ज पर रायपुर में होल्डिंग सेंटर का निर्माण किया जा रहा है जहां पर उन लोगों को बंदी बना कर रखा जाएगा जिनका पास वैध नागरिकता प्रमाणपत्र नहीं है। *मूल निवासी ही हो जायेंगे घुसपैठी* केंद्र सरकार की नागरिकता कानून को पीछे के दरवाजा से चुनाव आयोग लागू कर रही है।चुनाव आयोग के इस कदम से हमारे मूल निवासी लोग ही अपने नागरिकता को खो देंगे और वे इस भूमि पर घुसपैठी के रूप में चिन्हित हो जायेंगे।संघ और भाजपा का यह प्रचार की इस भूमि पर आर्यों का ही निवास आदिकाल से रहा है इसे प्रमाणित करने के लिए ही वे मूल निवासिओं को घुसपैठी साबित करने में जुटे है।विश्व आदिवासी दिवस को नागरिकता बचाओ दिवस के रूप में मनाया जाएगा* नेताद्वय ने बताया आगामी 9 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर राजमिस्त्री मजदूर रेजा कुली एकता यूनियन “नागरिकता बचाओ दिवस” के रूप के पालन करने का आह्वान किया है

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