
📍 अनिमेष कुजूर ने रचा इतिहास छत्तीसगढ़ की धरती एक बार फिर गौरवान्वित हुई है। राज्य के एक साधारण से आदिवासी युवक अनिमेष कुजूर ने वह कर दिखाया जो आज तक कोई भारतीय नहीं कर पाया था। बिना कोच, बिना ट्रेनिंग और बिना किसी बड़े संसाधन के, सिर्फ मेहनत और आत्मविश्वास के दम पर अनिमेष ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन कर दिया है।कोरोना लॉकडाउन बना मोड़साल 2020 में जब देश लॉकडाउन के दौर से गुजर रहा था, तब छत्तीसगढ़ का यह युवक केवल फिट रहने के लिए आर्मी की तैयारी कर रहे युवाओं के साथ दौड़ लगाता था। किसी ने सलाह दी कि एक लोकल दौड़ में भाग लो — और यहीं से शुरू हुई एक नई कहानी।बिना तैयारी के राष्ट्रीय क्वालिफाइंग दौड़ में हिस्साअनिमेष को यह तक नहीं पता था कि वह जिस दौड़ में भाग लेने जा रहे हैं, वह एक नेशनल क्वालिफाइंग इवेंट है। बिना किसी कोचिंग, अनुभव या तैयारी के अनिमेष ने ऐसा प्रदर्शन किया कि सब चौंक गए।परिवार की भूमिकाअनिमेष बताते हैं कि उस समय उनकी मां चिंतित थीं और खेल छोड़ने की सलाह दे रही थीं, लेकिन पापा और चाचा ने एक मौका देने को कहा — यही एक मौका उनकी किस्मत बन गया।नेशनल रिकॉर्ड और ऐतिहासिक उपलब्धिकुछ ही महीनों में अनिमेष नेशनल स्तर पर दौड़ने लगे। एक साल बाद उन्होंने 200 मीटर में नेशनल रिकॉर्ड तोड़ा। और अब ग्रीस के Dromia International Sprint & Relays Meet में उन्होंने 100 मीटर दौड़ केवल 10.18 सेकंड में पूरी कर इतिहास रच दिया।
👉 यह भारत का अब तक का सबसे तेज़ समय है
👉 वे पहले भारतीय हैं जिन्होंने 10.20 सेकंड से कम समय में 100 मीटर पूरी की
👉 यह एक नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड हैदुनिया के स्प्रिंटर्स में शामिल हुए अनिमेषअब अनिमेष कुजूर का नाम दुनिया के शीर्ष धावकों में लिया जा रहा है। लेकिन उन्होंने इस सफर की शुरुआत एक छोटी सी दौड़ और थोड़े से विश्वास से की थी।प्रेरणा से भरी कहानीअनिमेष की कहानी यह सिखाती है कि कभी-कभी बस एक सलाह, एक मौका और थोड़ा आत्मविश्वास ज़िंदगी बदल सकता है।
➡️ परलकोट, बस्तर और समूचे छत्तीसगढ़ को अनिमेष पर गर्व है।
➡️ यह उपलब्धि आदिवासी समाज, ग्रामीण युवाओं और देश के हर संघर्षरत खिलाड़ी के लिए प्रेरणा है।– असीम पाल, चीफ एडिटर, परलकोट दर्पण